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डिजिटल जमाने में कैसे बदल रहा है प्रकाशन उद्योग

शुभांगी डेढ़गवें
२१ अक्टूबर २०२३

फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में प्रकाशकों ने वक्त के साथ बदली प्रकाशन की दुनिया पर रोशनी डाली. भारत और अन्य देशों के प्रकाशक अब किताबें ही नहीं और भी बहुत कुछ बना रहे हैं.

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फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेला
बच्चों की किताबों का बाजार भारत में काफी विकसित हुआ हैतस्वीर: Shubhangi Derhgawen/DW

जर्मनी के शहर फ्रैंकफर्ट में दुनिया के सबसे बड़ा पुस्तक मेले में किताबों की दुनिया को बहुत करीब से देखने का मौका मिलता है. 1949 से हर साल होने वाला यह मेला इस साल अपनी 75वीं सालगिरह मना रहा है. 2023 के इस ताजा अंक में इस मेले में प्रकाशन उद्योग में आए बदलाव पर नजर डाली गई. मेले के पहले दिन इस सवाल पर काफी चर्चा हुई कि क्या लोगों ने अब किताबें पढ़ना कम कर दिया है? हालांकि इसका जवाब हां या ना में देना आसान नहीं है.

भारत में बच्चों की किताबों का बढ़ता बाजार

जैसे ही मैं भारत के पब्लिशिंग हाउस के स्टॉल की तरफ गई, मैंने अपने आप को बच्चों की किताबों से घिरा हुआ पाया. यह दूसरे देश जैसे अमेरिका, ब्रिटेन आदि के स्टॉल के एक दम उलट था. ॐ बुक शॉप के मालिक अजय मागो ने इस पर विस्तार से बात की. मागो ने डीडब्लू को बताया कि पूरे देश में उनकी किताबों की दुकान है और वह हर साल सर्वे करवाते हैं ताकि पता लगा सकें कि लोग किस तरह कि किताबें पढ़ रहे हैं.

उनके सर्वे से पता चला कि जो मां बाप अभी 40 साल की उम्र के आस पास हैं, जिन्हें मिलेनियल भी कहा जाता है, उन्होंने अपना बचपन किताबों से काफी दूर बिताया है. मागो ने कहा, "मैं भी उसी पीढ़ी का हूं. हमने टीवी और मोबाइल को धीरे धीरे अपने जीवन में आते हुए देखा. उस समय के हमारे उत्साह की वजह से हमारी पीढ़ी के लोग किताबों से दूर हट गए. लेकिन आज जब वो खुद मां बाप बन रहे हैं तो वो पूरी कोशिश कर रहे हैं कि बच्चों को किताबों से जोड़े रखें.”

मागो ने बताया कि उनके ताजा सर्वे ने पाया है कि 10 साल की उम्र से नीचे जितने भी बच्चें हैं, उनकी किताबों का सबसे बड़ा मार्केट हैं. यही बात प्रकाश पब्लिशिंग के प्रशांत पाठक ने भी दोहराई. पाठक ने डीडब्ल्यू से कहा, "भारत में दो बहुत बड़े बदलाव हुए हैं. पिछले कुछ सालों में व्यापार से संबंधित किताबें बहुत ज़्यादा बिकी हैं और पिछले पांच वर्षों में बच्चों के लिए लिखी हुई किताबों का सबसे बड़ा मार्केट है.”

फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेला
प्रकशान उद्योग तकनीक से हैरान नहीं बल्कि उसका इस्तेमाल कर रहा हैतस्वीर: Shubhangi Derhgawen/DW

नए जमाने के पाठकों पर नजर

नई पीढ़ी यानी जनरेशन जी, को लुभाने के कई तरीके इस साल फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में बताए जा रहे थे. जिस तरह बच्चों कि किताबों का मार्केट बढ़ रहा है उसी तरह ऑडियो बुक यानी रिकॉर्ड की हुई किताबें सुनने का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है. यह बच्चों के लिए भी काफ़ी महत्वपूर्ण है क्योंकि रात को अपने माता पिता के साथ कहानियां पढ़ना ज्यादातर लोगों के बचपन का हिस्सा रहा है. 

शौन मेकमानुस, ड्रीम स्केप नाम की कंपनी के अध्यक्ष हैं जो औडियो बुक बनती है. फ्रैंकफर्ट पस्तक मेले में बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि ऑडियो बुक किस तरह बच्चों और उनके माता पिता के लिए दिलचस्प बनाई जा रही है. उन्होंने कहा, "जैसे ही हमने समझ लिया कि बच्चे हमारा बहुत बड़ा बाजार हैं हमने ऑडियो बुक को बदलना शुरू किया. हर थोड़ी देर में हम कहानी को रोक कर कुछ सवाल और चर्चा के विषय डालते हैं ताकि बच्चे रुक कर अपने माता पिता से बात कर सकें. इससे हम सिर्फ बच्चों को ही नहीं उनको भी अपनी कहानियों से जोड़ते हैं जो सही में इन किताबों को खरीद रहे हैं.”

फ्रैंकफर्ट किताब मेला
बच्चों के लिए ऑडियो बुक को दिलचस्प बनाने की कोशिशें हुई हैंतस्वीर: Shubhangi Derhgawen/DW

रिबेल गर्ल्स: किताबों के जरिए ब्रांड बनना  

भारत में हो रहे डिजिटल बदलाव के बारे में बात करते हुए प्रशांत पाठक ने कहा, "अब हम सिर्फ पब्लिशिंग के व्यापार में नहीं हैं. चाहे जितना भी तकनीकी बदलाव हो जाए, मूल रूप से लोगों के बीच कंटेंट कभी खत्म नहीं होगा. चाहे वो सोशल मीडिया हो, ऑडियो बुक या पॉडकास्ट. हर तरह से लोगों के बीच कंटेंट की खपत है.” पब्लिशिंग को एक नई तरह का बिजनेस बताते हुए पाठक कहते हैं कि वह अब कंटेंट बनाने के व्यापार में हैं.

Deutschland I Frankfurter Buchmesse 2023
तस्वीर: Shubhangi Derhgawen/DW

यह एक खास बात थी जिसे फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में कई बार दोहराया गया. रिबेल गर्ल्स नाम की किताबें लड़कियों के लिए हाल के समय में काफ़ी मशहूर हैं. पुरानी सोच और प्रथा से दूर, इन किताबों का उद्देश्यहै लड़कियों को निडर और बेबाक बनने के लिए उत्तेजित करना. रेबेल गर्ल्स की संस्थापक, जेस वॉल्फ ने बातचीत में कहा, "हमने शुरुआत की किताबों से. उसके बाद जल्द ही हमने कह दिया की रेबेल गर्ल्स एक ब्रांड है और हम सिर्फ पब्लिशिंग का काम नहीं करेंगे. इसके बाद हमने धीरे धीरे और चीजें करनी शुरू की. पहले हमने 250 के करीब ऑडियो बुक बनना शुरू किया, फिर इसको हमने एक एप बनाया. अब हमारे पास अपने गेम हैं, गाने हैं, तो हर तरह के कंटेंट को हमने एक दूसरे से जोड़ दिया है.”

इसी तरह से वॉल्फ ने बताया कि उन्होंने अपने ऐड भी इस तरह बदल दिए हैं. अब उन्हें सिर्फ पुस्तकालय, या फिर माता पिता पर निर्भर नहीं रहना है अपने ब्रांड को बेचने के लिए. वह सोशल मीडिया और इंफ्लुएंसर के साथ अपनी ब्रांड को लोगों के सामने लाते हैं ताकि लोग उनके उद्देश्य और नाम को पहचानें.

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